पृष्ठ:भूतनाथ.djvu/८९

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भूतनाथ हराम ऐयार बेइज्जती के साथ अपनी जिन्दगी बिता सकता है उसी तरह तुम भो अपनी जिन्दगी के दिन बिताने के सिवाय और कुछ नही कर सकते। हम खूब जानते हैं कि तुम्हारा नाम गदाधरसिंह है और भव अपनी असलियत को छिपाते हुए तुम भूतनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुमा चाहते हो। भूत । (गुस्से से पेच खाकर) मालूम होता है कि तुम दोनो की शामत आई है जिससे मेरी वातो का साफ साफ जवाब न देकर जली कटी वातें करते और मुझे गदाधरसिंह के नाम से सम्वोधन करते हो । मैं नहीं जानता कि गदावरसिंह किस चिडिया का नाम है, पर सम्भव है कि यह कोई भेद को वात हो, इसलिए मै गदाधरसिंह के बारे में कुछ नहीं पूछता और एक दफे तुम्हारी इस ढिठाई को माफ करके फिर कहता हूँ कि तुम दोनो श्रादमी अपना परिचय दो नही तो एक० । नहीं तो क्या तुम हमारा कर ही क्या सकते हो ? पहिले अपनी जान बचाने का तो वन्दोवस्त कर लो। हम लोग तुम्हारी झूठी वातो से धोखा नही खा सकते, बस चले जाओ और अपना काम करो, हम लोगो का पीछा करके तुम कोई अच्छा नतीजा नहीं निकाल सकते । भूतनाथ खिलखिला कर हस पड़ा और उसने फिर पूछा भूत० । मै समझता हूँ तुम दोनो मर्द नही बल्कि औरत हो । खैर इममे भी कोई मतलब नही । में वह प्रादमी नही हू जो किसी तरह पर मुलाहिजा कर जाऊं, इस तलवार को देख लो और जल्द बतानो कि तुम कौन हो। इतना कह कर भूतनाथ ने म्यान से तलवार निकाल ली मगर उन दोनों का दिल फिर भी न हिला और एक ने पुन कडक कर भूतनाथ से कहा-"चल दूर हो मेरे सामने से । तेरी इस निर्लज्ज तलवार से हम लोग टर नहीं सकते । समझ ले कि तू इस ढिठाई की सजा पावेगा और पछतावेगा।" तुम