पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/१३३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

[ ४२ ] उदाहरण-कवित्त मनहरण श्री नगरे नयपाल जुमिला के छितिपाल भेजत रिसाले चौर गढ़ कुही वाज की। मेवार हुँदार मारवाड़ औ बुंदेलखंड झारखंड बाँधौं धनी चाकरी इलाज की ।। भूपन जे पूरब पछाँह नरनाह ते वै ताकत पनाह दिलीपति सिरताज की। जगत को जैत वार जीयो अवरंगजेब न्यारी रीति भूतल निहार सिवराज की ११२ , काश्मीर को राजधानी।। २ इस नाम के किसी स्थान का पता नहीं चलता। एक स्थान जलना था जो औरंगाबाद के पूरव को ओर जयदेव राय मनसबदार दिल्ला के देश में वसा था। अथवा यह फारसी शब्द जुमला ( अर्थात् सब कहीं के ) हो सकता है। ३ इरसाल, खिराज । ४ उदयपुर की रियासत । ५ रियासत अंबर अर्थात् जयपुर । ६ रियासत नोधपुर । ७ इसमें अब चार सरकारी जिले झाँसी, वाँदा, हमीरपुर और नालोन, एवं जिला इलाहावाद को तीन तहसीलें और २०-२२ देशी रियासतें हैं। छत्रसाल के पिता चंपतिराय ने कुछ दिनों मुरालों को सेवा स्वीकार की थी और बुंदेलखंड के अन्य सरदार मी औरंगजेब के वशीभूत हो गए थे। इसका विस्तृत हाल भूमिका में देखिए । ८ उड़ीसा में गोंडवाने के पूरव में है । इस उड़ीसा को काशी कहते हैं, क्योंकि • यहाँ पहले संस्कृत की वड़ा चर्चा थी। ९ बांधव का राजा। भूपण जी का तात्पर्य यह है कि इतने इतने नामी देशों के राजा महाराजा औरंगजेब को कर देते, उसकी सेवा तक स्वीकार करते एवं उसकी शरण में रहते थे, पर शिवाजी का ढंग कुछ न्यारा ही था। वे वादशाह की विलकुल परवा न करते और उनसे सदा लड़ाई झगड़ा करते थे ।