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पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/१६

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[ ७ ] - शिवावावनी एवं छत्रसालदशक के विषय में हमारा यह मत है कि वे स्वतंत्र ग्रंथ नहीं हैं, वरन् भूषणजी के अन्य ग्रंथों अथवा स्फुट कविताओं से संगृहीत हुए हैं। कवि की जीवनी भूषण महाराज कान्यकुब्ज ब्राह्मण, कश्यप गोत्री त्रिपाठी (तिवारी) थे । इनके पिता का नाम रत्नाकर था और ये त्रिवि- क्रमपुर (वर्तमान तिकवाँपुर ) में रहते थे । यह तिकवाँपुर यमुना . नदी के बाएँ किनारे पर जिला कानपुर, पर्गना व डाकखाना घाटम- पुर में मौजा "अकबरपुर बीरबल" से दो मील की दूरी पर बसा है । कानपुर से जो पक्की सड़क हमीरपुर को गई है, उसके किनारे कानपुर से ३० एवं घाटमपुर से ७ मील पर 'सजेती' नामक एक ग्राम है जहाँ से तिकवाँपुर केवल दो मील रह जाता है। 'अकबरपुर बीरवल" अब भी एक अच्छा मौजा है जहाँ अकबर बादशाह के सुप्रसिद्ध मंत्री और मुसाहब महाराज बीरबल उत्पन्न हुए ( शायद तब इनका कुछ और नाम हो) और रहते थे (शि० भू० के छंद नं० २६ व २७ देखिए)। सुना जाता है कि उक्त रत्नाकरजी श्रीदेवीजी के बड़े भक्त थे और उन्हीं की कृपा से इनके चार पुत्र उत्पन्न हुए-अर्थात् चिंतामणि, भूपण, मतिराम और नीलकंठ उपनाम जटाशंकर । शिवसिंह-सरोज में भूषणजी का जन्मकाल संवत् १७३८ विक्रमी लिखा है, परंतु यह अशुद्ध है। शिवसिंहजी भूषण महाराज