पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/१७

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का शिवाजी एवं छत्रसाल के दरबारों में रहना मानते हैं: पर शिवा- जी सन् १६८० ईसवी (अर्थात् १७३६-३७ विक्रमी ) में गोलोक- वासी हुए थे। तो क्या भूपणजी अपने जन्म के साल डेढ़ साल पहले ही शिवाजी के यहाँ पहुँच गए ? भूपणजी लिखते हैं कि संवत् १७३० में उन्होंने शिवराज भूपण समाप्त किया; पर शिवसिंहजी भूपण एवं मतिराम दोनों ही का जन्म-संवत् १७३८ का लिखते हैं ! दुःख का विषय है कि भूपण के ग्रंथों से उनके जन्मकाल का कुछ भी पता नहीं चलता, न मतिराम-कृत रसराज और ललितललाम अथवा चिंतामणि-कृत कविकुल-कल्पतरु से ही कुछ सहायता मिलती है। मतिराम और चिंतामणि-कृत (अपूर्ण) पिंगलों में भी इसका कुछ पता नहीं चलता। भूषणग्रंथावली की बंगवासीवाली प्रति की भूमिका में लिखा है कि चिंतामणिजी के ग्रंथ सन् १६२७ से १६५६ ईसवी तक बने। हम नहीं कह सकते कि इस कथन का क्या प्रमाण है; परंतु यदि यह सत्य मान लिया जाय तो चिंतामणि का जन्म सन् १६११ ईसवी के पीछे का नहीं माना जा सकता ; क्योंकि १६ वर्ष की अवस्था के पहले कोई मनुष्य कदाचित् ही काव्यग्रंथ रच सके। इस हिसाब से भूपण का जन्म सन् १६१४ ईसवी के आसपास या उससे पहले का मानना पड़ेगा। हमने आगे सप्रमाण लिखा है कि भूषणजी प्रायः सन् १७४० ईसवी तक जीवित रहे। यदि वंगवासीवाली बात ठीक हो तो भूपण का एक सौ वर्ष से कुछ अधिक काल तक जीवित रहना पाया जायगा। भूषण के छोटे भाई जटाशंकर का