पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/१७१

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हरि को अवतार सिवा नृप काज सँवारे सबै हरिवारे ॥ भूपन यों अवनी यवनी कहै "कोऊ कहै सरजा सों हहारे। तू सबको प्रतिपालनहार विचारे भतार न मारु हमारे" ॥२२८||

अन्यच-कवित्त मनहरण

कसत मैं बार वार वैसोई बुलंद होत वैसोई सरस रूप समर भरत है। भूषन भनत महराज सिवराज मनि, सघन सदाई जस फूलन धरत है । वरछी कृपान गोली तीर केते मांन, जोरावर गोला वान तिनहू को निदरत है। तेरो करवाल भयो जगत को ढाल, अब सोई हाल' म्लेच्छन के काल को करत है ॥२२९॥

( कारण माला ) गुम्फ
लक्षण-दोहा

पूरव पूरब हेतु कै उत्तर उत्तर हेतु । या विधि धारावरनिए गुम्फ कहावत नेतु ।।२३०॥

उदाहरण-मालती सवैया

शंकर की किरपा सरजा पर जोर बढ़ी कवि भूषन गाई । ता किरपा सों सुबुद्धि बड़ी भुव भौसिला साहि तनै की १इस समय।.