पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/१८९

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[ ९८ ] अवज्ञा लक्षण-दोहा औरे के गुन दोस ते होत न जहँ गुन दोस । तहाँ अवज्ञा होति है भनि भूपन मतिपोस ॥ २८० ॥ उदाहरण । मालती सवैया औरन के अनबाड़े कहा अरु बाढ़े कहा नहिं होत चहा है।' औरन के अनरीझे कहा अरु रीझे कहा न मिटावत हा' है ।। भूषन श्री सिवराजहि माँगिए एक दुनी विच दानि महा है। मंगन औरन के दरवार गए तो कहा न गए : तो कहाः है ? ॥२८१ ॥ अनुज्ञा लक्षण-दोहा जहाँ सरस गुन देखि कै करै दोस की हौस । तहाँ अनुज्ञा होति है भूपण कवि यहि रौस ॥ २८२ ॥ उदाहरण । कवित्त मनहरण जाहिर जहान सुनि दान के वखान आजु महादानि साहितनै गरिवनेवाज के। भूपन जवाहिर जलूस जरवाफ जोति • देखि देखि सरजा के सुकवि समाज के ।। तप करि करि कमलापति सों माँगत यों लोग सब करि मनोरथ ऐसे साज के। + विशेषोक्ति में कारण का आमास मात्र है, किन्तु भवशा में शुद्ध कारण होने पर भी फल प्राप्ति नहीं होती। १ "हाय” अर्थात् दुःख को नहीं मिटाता ।