[ १०४ ] दुगधनदीस' को। भूषन भनत सुरसरिता को हंस हेरै विधि हेरै हंस को चकोर रजनीस को ॥ साहि तनै सिवराज करनी करी है तें जुहोत हैं अचंभो देव कोटियौ तैंतीस को। पावत न हेरें तेरे जस मै हिराने निज गिरि को गिरीस हे गिरिजा गिरीस को ।। ३०१ ॥ उन्मीलित लक्षण-दोहा सहस वस्तु मैं मिलत पुनि जानत कौनेहु हेत । उनमीलित तासों कहत भूषन सुकबि सचेत ।। ३०२ ।। ___उदाहरण-दोहा सिव सरजा तव सुजस मैं मिले धौल छवि तूल । बोल वास ते जानिए हंस चमेली फूल ॥ ३०३ ।। सामान्य * लक्षण-दोहा भिन्न रूप जहँ सहश ते भेद न जान्यो जाय । ताहि कहत सामान्य हैं भूषन कवि समुदाय ॥ ३०४ ।। उदाहरण-मालती सवैया . पावस की यक राति भली सु महाबली सिंह सिवा गमके ते । म्लेच्छ हजारन ही कटि गे दस ही मरहट्टन के झमकेते ते ।। दुग्ध समुद्र ।
- मीलित में सादृश्य के कारण दो वस्तु मिलकर एकही ( अभिन्न ) हो जाती
है, इधर सामान्य में बनी दोनों रहती हैं किन्तु कोन कौन हैं सो पता नहीं पड़ता।