पृष्ठ:भूषणग्रंथावली.djvu/२८२

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[ ७ ] अरबी भाषा में हैं। उन पुस्तकों में सब से अधिक प्राचीन सुलेमान नामक एक मुसलमान सौदागर का यात्रा-विवरण है, जो अरब से पहले भारत आया था और यहाँ से होता हुआ चीन गया था। उसी का मूल अरबी से यह अनुवाद कराके सभा ने प्रकाशित किया है। इसकी मूल प्रति वहुत . परिश्रम करके तथा बहुत कुछ धन व्यय करके प्राप्त की गई थी। इसमें मार्को पोलो तथा इन्न बतूता के यात्रा विवरणों से भी बहुत सहायता ली गई है । मूल्य १). (४) अशोक को धर्म लिपियाँ पहला भाग भारतवर्ष के आज से २५०० वर्ष पूर्व के इतिहास की जान- कारी के लिये प्रियदर्शी राजा अशोक के शिलालेख बहुत महत्व के हैं । अशोक भारत का बहुत प्रतापी सम्राट् था और वह सर्व-साधारण के हित तथा राज-कर्मचारियों के पथ- प्रदर्शन के लिये अपनी मुख्य मुख्य आज्ञाओं को चट्टानों और स्तंभों आदि पर खुदवा दिया करता था। इस पुस्तक में उसी सम्राट अशोक के प्रधान शिलालेखों के अनुवाद और स्थान स्थान पर अनेक बहुमूल्य टिप्पणियाँ दी गई हैं। अशोक की धर्मलिपियों का ऐसा अच्छा दूसरा संस्करण अभी कहीं नहीं निकला । मूल्य ३)