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मतिराम-ग्रंथावली
इन मधुर प्रभावों द्वारा संपूर्णतया आदर्श प्रकृतियों में सुधार तथा उच्चता संपादित होती है। जिस मनुष्यता का वास्ता प्रत्येक उच्च और पवित्र प्रेरणा से है, वह मनुष्यता इन्हीं मधुर प्रभावों की दृढ़-से-दृढ़ गाँठों द्वारा जकड़ी रहती है।"
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[१]*"स्त्रजन-संबंधिनी प्रेरणाओं से जाग्रत होकर ही मैदान अपनी सब्ज़ी दिखलाते हैं, फूल अपने सौंदर्य और सुगंध को प्रकट करते हैं, पक्षीगण अपने चमकीले से चमकीले पर धारण करते हैं, तथा मधुर-से-मधुर गीत गाते हैं। झिल्ली की झंकार, कोयल की कूक अपने जोड़े के आह्वान के अतिरिक्त कुछ नहीं है। मैदान और वनों की निस्तब्धता को भंग करनेवाले जो ये नाना प्रकार के पक्षियों के कल-
- ↑ *It is under the awakening of reproductive life that the fields put on their verdure, the flowers unfold their beauty and fragrance, the birds put on their brightest plumage and sing their sweetest song while the chrip of the cricket, the note of the Katydid, is but the call to its mate, for the many tounged voices, which break the stillness of field and forest, are but the myriad notes of love. To this universal God-given Passion man owes his love of colour, his love of beauty and sweetness in art and music, his love of rhythm in poetry, of grace in form in painting and sculpture; and