कि मर जाने पर भी वह जीवित ही रहता है। उसके प्रत्येक काम में उसकी पत्नी तथा बच्चों का हित लिपटा रहता है। स्वार्थपरता पर प्रेम की विजय होती है। पति को अहंभाव के ऊपर उठना पड़ता है। उसकी सत्ता का प्रयोजन अब से दूसरों की वर्तमान भलाई और भविष्य-आनंद में ही है।"
***
[१]*"बड़ा ही गंभीर उत्तरदायित्व है, परंतु इस पार्थिव संसार में मनुष्यों को ईश्वर द्वारा प्राप्त जितनी उच्च और आनंददायिनी अवस्थाएँ हैं, उन सबमें जिसके द्वारा दो अनुरक्त आत्माएँ एक हो जाती हैं, वह वैवाहिक अवस्था ही सबसे बढ़कर है। हमारी सत्ता की संपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति विवाह के द्वारा ही होती है। यदि समझ-बूझकर और विश्वास पूर्वक विवाह बंधन से लाभ उठाया जाय, तो इस संसार में मरणशील मनुष्यों को अधिक-से-अधिक जितना आनंद मिल सकता है, वह इसी से प्राप्त हो सकता है। पति,
transmitting himself, that life may remain when he is gone. What he does involves the interest of his wife and of those who are to come after him. Love is to conquer selfishness. He is to rise above himself and the present good and future happiness of others are to constitute his well-being.
- ↑ *The responsibilties are grave but the state of two congenial souls made one in happy marriage is the grandest and most blessed earthly condition conferred upon man by God himself. It meets the requirements of our being, and, when properly understood and faith-fully conformed to, brings the largest happiness that mortals are capable of upon earth. Husband and wife,