पृष्ठ:मतिराम-ग्रंथावली.djvu/२०६

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मतिराम-ग्रंथावली

। २०२ मतिराम-ग्रंथावली, mpensaneeminentaHUNaumation o tubebatinic (२) हमारे रनिवास की स्त्रियाँ नौरोज़ पर बादशाह के ज़नाने में न जायंगी। (३) अटक-नदी पार करने का दबाव हम पर न डाला जायगा। (४) हम बादशाह के आम और खास दरबार में शस्त्र बाँध- कर आ सकेंगे। (५) दिल्ली-नगर और लालकोट तक हमारा नक्क़ारा बजेगा। (६) हमारे घोड़ों पर दाग़ न लगेंगे । (७) हम किसी राजा के अधीन होकर युद्ध में न जायँगे । (८) हमसे जज़िया न लिया जायगा। (९) हमारे पवित्र मंदिरों की प्रतिष्ठा की जायगी। (१०) जैसे दिल्ली बादशाह के लिये है, वैसे बूंदी हाड़ों के लिये रहेगी। कुछ इतिहासज्ञ बूंदी के इस सुलहनामे को जाली बतलाते हैं। STORIES Rel रावराजा इन शर्तों को मानकर अकबर ने सात परगने सुरजनजी को दिए । इन्होंने भी बादशाह की इच्छा के अनुकल रणथंभोर का क़िला खाली कर दिया। इसके बाद सुरजनजी ने बादशाह के लिये गोड- वाना विजय किया। बादशाह ने प्रसन्न होकर इनको 'रावराजा' की पदवी दी, और बहुत से नए परगने इनके सिपुर्द कर दिए, जिसमें काशी भी सम्मिलित था। काशी के इनके अधीन हो जाने से धार्मिक हिंदुओं को बड़ा सुबीता हो गया। इनका शासन न्याय, उदा- रता और दया के लिये प्रसिद्ध है। इन्होंने काशी में २० घाट और ४४ मंदिर बनवाए, जिनमें राजमंदिर परम प्रसिद्ध है। इन वीर, धर्मात्मा और न्यायी राजा का स्वर्गवास सं० १६४१ में काशी में ही हुआ। a tion