पृष्ठ:मतिराम-ग्रंथावली.djvu/२२४

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२२० मति राम-ग्रंथावली windiadioupasandsonilionaiandialoKLKAHAL video A m anomemilikimeHimal S (६) "भूषन तीषन तेज-तरन्नि सों बरिन को कियो पानिप-हीनो। (भूषण) "दिल्ली के दिनेस के प्रचंड तेज-आँच लागे पानिप रह्यो न काहू भूपति-तलाव मैं; (मतिराम) (७) "चमकती चपला न, फेरत फिरंगै भट, इंद्र की न चाप, रूप बैरष समाज को; धाए धुरवा न, छाए धूरि के पटल, मेघ गाजिबो न, बाजिबो दुंदुभि दराज को ; भौंसिला के डरन डरानी रिपु-रानी कहैं- पिय, भजौ देखि उदौ पावस के साज को; घन की घटा न, गज-घटनि सनाह साजै, 'भूषन' भनत, आयो सेन सिवराज को ।" (भूषण) "पावस-भीति, बियोगिनी बालनि यो समुझाय सखी सुख साजै; जोति जवाहिर की 'मतिराम' नहीं सुर-चाप छिनौ छबि छाजें। दंत लसैं, बक-पाँति नहीं, धुनि दुंदुभि की, न घन घन गाजें; रोझिकै भाऊ नरिंद दिए कबिराजन के गजराज बिराजै ।" (मतिराम) (८) "देसन देसन नारि नरेसन 'भषन' यों सिख देहि दया सों; मंगन है करि दंत गहो तिन, कंत, तुम्हें है अनंत महा सों । कोटि गहौ कि गहौ बन ओट कि फौज की जोट सजौ प्रभुता सों; और करो किन कोटिक राह, सलाह बिना बचिहौ न सिवा सों।" (भूषण) "बिपिन-सरन के चरन तकौ राव ही के, चढ़ौ गिरि पर, के तुरंग परवर मैं; a yan MEENitivita EEEEEE R m 22 RRRRRRRRRIOROHRISHANIHIRRIERISHMAINRIES incom