पृष्ठ:मतिराम-ग्रंथावली.djvu/३९८

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E ३९४ मतिराम-ग्रंथावली XTERNOONARSAADIESCRISPERITARKA wimwear Adiwas । उदाहरण उदित भयो है जलद तू जग को जीवन-दानि । मेरो जीवन लेत है, कौन बैर मन आनि' ॥ २२० । प्रथम विषम-लक्षण जहाँ न हैं अनुरूप द्वै', तिनकी घटना होय। बिषम तहाँ बरनन करत', कबि-कोबिद सब कोय ।। २२१ ॥ उदाहरण ऊधोज सूधो बिचार है धौं जु कछ समुझे हमहूँ ब्रजबासी; मानिहैं जो अनुरूप कहौ 'मतिराम' भली यह बात प्रकासी। जोग कहाँ मुनि लोगन जोग, कहाँ अबला मति है चपला-सी; स्याम कहाँ अमिराम सरूप, कुरूप कहाँवहकूबरीदासी ॥२२२॥ मानहु आयो है राज कहूँ चढ़ि बैठयो है ऐसे पलास के खोढ़ें; गुंज गरे सिर मोरपखा 'मतिराम' हो गाय चरावत चोढ़ें। मोतिन को मेरो तोरचो हरा गहि हाथनि सौं रही चूनरी पोहैं; ऐसे ही डोलत छैल भए तुम्हें लाज न आवत कामरी ओढ़ें ।। २२३॥* द्वितीय विषम-लक्षण जहाँ बरनिए हेतु ते उपजत काज बिरूप । और बिषम तहँ कहत हैं कबि 'मतिराम' अनूप ॥२२४ ॥ उदाहरण वारने सकल एक रोरी ही की आड़ पर, हाहा न पहरि आभरन और अंग मैं ; १ मानि, २ कहैं, ३ यों ही। छं० नं० २२२ मानिहैं जो अनुरूप कहौ=अगर वाजिब बात कहोगे तो मानेंगी। जोग दो बार आया है एक बार उसका अर्थ है योग-साधन और दूसरी बार योग्य । अभिराम सुंदर ।

  • देखो रसराज उदाहरण बिब्वोक-हाव ।