पृष्ठ:मतिराम-ग्रंथावली.djvu/४०४

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TEENA ASTROMIKASSOURam - ४०० मतिराम-ग्रंथावली ma mamiwwesesesamesesese m mmmmmmmmmmmdaramimire TimvasanSSSS S उदाहरण छीरधि की छबि छिति-छोर चारयौं ओरनि मैं, फैलि रह्यौ जस कुल ललित ललाम को ; बखतबिलंद मुख सुंदर सरदचंद, ... देखि करि गरदै गुमान होत काम को। बाढे पुन्य ओघ अघमरषण आखरनि, 'मतिराम' करत जगत जप नाम को; सत्ता के सपूत राजऋषि भावसिंह कीन्हौं, ___आपुने चरित्रनि प्रगट रूप राम को ।। २५० ॥ प्रथम व्याघात-लक्षण जो जैसो करतार, सो बिरुद्ध कारी जहाँ। बरनत सुमति उदार, तहाँ कहत व्याघात हैं । २५१॥ उदाहरण मोहन-लला कौं मनमोहनी बिलोकि बाल, ___कसि करि' राखति है उमगे उमाह कौं ; सखिनि की दीठि कौं बचाय कै निहारत है, आनँद प्रबाह बीच पावति न थाह कौं । कबि 'मतिराम' और सबही के देखत ही, ___ ऐसी भाँति देखति छिपावति उछाह कौं ; वे ही नैन रूखे-से लगत और लोगनि कौं, वेई नैन लागत सनेह-भरे नाह कौं ॥ २५२ ॥* १ बिलोकिबे को दीठि गहि, २ लागत रुखाई भरे। छं० नं० २५० अघमरषण आखरनि-अघमर्षणाक्षर=पापनाशक मंत्र।

  • देखो रसराज उदाहरण प्रत्यक्ष-दर्शन।

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