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पृष्ठ:मध्यकालीन भारतीय संस्कृति.djvu/१६७

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(११६ ) बहुत से मुख्य नियम अाविष्कृत कर लिए थे जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं- १-ऋण राशियों के समीकरण की कल्पना । २-वर्ग-समीकरण को सरल करना । ३-अंक-पाश के नियम ( यूनानी इन्हें नहीं जानते थे )। ४-एक वर्ण और अनेक वर्ण समीकरण । ५–केंद्र फल का निर्णय करना, जिसमें व्यक्त और अव्यक्त गणित का विकास हो। भास्कराचार्य ने यह भी सिद्ध किया है- . O %D न० भारतवर्ष से ही वोजगणित भी अरबों के द्वारा यूरोप में गया । प्रो० मोनियर विलियम्स कहते हैं कि बीजगणित और ज्यामिति तथा खगोल में उनका प्रयोग भारतीयों ने ही आविष्कृत किया है । मूसा और याकूब ने भारतीय वीजगणित का प्रचार अरव में किया था। अरब से यूरोप में इसका प्रचार हुआ। इसी तरह रेखागणित में भी भारत ने वहुत उन्नति की थी। भारत का प्राचीनतम रेखागणित चौधायन और आपस्तंच के शुल्वसूत्रों में पाया जाता है। यज्ञवेदियों और कुडों के रेखागणित बनाने में इसका बहुत उपयोग होता था। यज्ञ और संस्कार करानेवाले पुरोहित जानते थे कि आयत का क्षेत्रफल वर्ग में और वर्ग का क्षेत्रफल वृत्त में किस तरह लाया जाता यह भी यूनानी प्रभाव से बिलकुल मुक्त था। रेखागणित की कुछ सिद्धियाँ हम नीचे देते हैं, जो हमारे समय तक ज्ञात हो चुकी थीं- The -

  • इंडियन विजडम पृ० १५५ ।

| विनयकुमार साकार; हिंदू एचीवमेंट स इन एक्जैक्ट साइंसेज़; पृ० १२-१५।