सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:मध्यकालीन भारतीय संस्कृति.djvu/१७६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

( १२५ ) योग्य अवस्था, गर्भकाल, उनकी प्रकृति, जाति, आयु तथा उनके भोजन, निवास संबंधी विषयों पर विशेष प्रकाश डाला गया है। हाथी का भोजन गन्ना बतलाया है। हाथी की उम्न सब से बड़ो १०० वर्ष बतलाई गई है और चूहे की कम से कम डेढ़ वर्ष* | भारतीयों ने ही सब से पहले औपधालय और चिकित्सालय बनाने प्रारंभ किए थे। फाहियान ( ई० स० ४०० ) ने पाटलिपुत्र के एक औषधालय का वर्णन करते हुए लिखा चिकित्सालय है कि यहाँ सब गरीव और असहाय रोगी आकर इलाज कराते हैं; उन्हें आवश्यकतानुसार औषध दिया जाता है। उनके आराम का पूरा खयाल रखा जाता है। यूरोप सब से पहला औषधालय, विसेंट स्मिथ के कथनानुसार, दसवीं सदी में बना था। हुएन्त्संग ने भी तक्षशिला, मतिपुर, मथुरा और मुल्तान आदि की पुण्यशालाओं के नाम दिए हैं, जिनमें गरीबों और विधवाओं को मुफ्त औषध, भोजन और वस्त्र दिए जाते थे। वर्तमान युरोपियन चिकित्सा-शास्त्र का आधार भी आयुर्वेद है । लार्ड एंपथिल ने एक भाषण में कहा था कि मुझे यह निश्चय है कि आयुर्वेद भारत से अरब में और वहाँ से यूरोप में भारतीय आयुर्वेद का गया । अरव का चिकित्सा-शास्त्र संस्कृत ग्रंथों यूरोपीय चिकित्सा पर के अनुवाद पर निर्भर था। खलीफाओं ने कई संस्कृत ग्रंथों का अरवी में अनुवाद कराया। भारतीय चिकित्सक चरक का नाम लैटिन में परिवर्तित होकर अब भी विद्यमान है। नोशेरवाँ का समकालीन बोंह्य ह (Barzouhyeh)

  • यह पुस्तक अभी प्राप्त हुई है और पंडित वी० विजयराघवाचार्य जी

पुरातत्त्वज्ञ, तिरुपति ( मद्रास) से मिल सकती हैं। + नागरीप्रचारिणी पत्रिका; भाग ८, पृ० १६.२० । हरविलास सारडा; 'हिंदू सुपीरियोरिटी'; पृ० २५८ वही; पृ० २५६ । प्रभाव