सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/१०६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

दूसरा भाग शब्द-साधन दूसरा परिच्छेद रूपांतर पहला अध्याय लिङ्ग २१०-संज्ञा में लिंग, वचन और कारक के कारण रूपांतर होता है। २११-संज्ञा कं जिस रूप से वस्तु की (पुरुष वा लो) जाति का बोध होता है, उसे लिंग कहते हैं। हिंदी में दो लिंग होते हैं-(१) पुल्लिंग (२) स्त्रीलिंग। . २१२-जिस संज्ञा से ( यथार्थ वा कल्पित ) पुरुषत्व का वोध होता है, उसे पुल्लिंग कहते हैं; जैसे, लड़का, बैल, पेड़, नगर । इन उदाहरणों में "लड़का" और "वैल" यथार्थ पुरुषत्व सूचित करते हैं; और "पेड़" तथा "नगर" से कल्पित पुरुषत्व का बोध होता है, इसलिए ये सब शब्द पुल्लिंग हैं।