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पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/१२२

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( ११७ ) थे।" "वाप-दादे जो कर गये हैं, वहीं करना चाहिए।" "जिनके बाप-दादा भेड़ की श्रावाज़ सुनकर डर जाते थे।" मुखिया, अगुश्रा और पुरखा शब्दों के भी रूप वैकल्पिक हैं।] अप०-(२) संस्कृत की ऋकारांत और नकारांत संज्ञाएं, जो हिंदी में श्राकारांत हो जाती हैं, बहुवचन में अचिकृत रहती हैं; जैसे,.. कर्ता, पिता, योद्धा, युवा, आत्मा, देवता, जामाता । २४५-हिंदी आकारांत पुल्लिंग शब्दों को छोड शेष हिंदी और संस्कृत पुल्लिंग शब्द दोनों वचनों में एक-रूप रहते हैं; जैसे-- व्यंजनांत संज्ञाएँ-हिंदी में व्यंजनांत संज्ञाएँ नहीं हैं। संस्कृत की अधिकांश व्यंजनांत संज्ञाएँ हिंदी में अका- रांत पुल्लिंग हो जाती हैं; जैसे, मनस् = मन, नामन् = नाम,. कुमुद् = कुमुद, पंथिन् = पंथ । अकारांत-(हिंदी) घर-घर । (संस्कृत) चालक--बालक । इकारांत-हिंदी शब्द नहीं हैं। , मुनि-मुनि । · ईकारांत-(हिंदी) भाई-भाई , पक्षी-पक्षी। : उकारांत-हिंदी-शब्द नहीं हैं। , साधु-साधु 1.:. ऊकारांत-(हिंदी) डाकू-डाकू । संस्कृत-शब्द हिंदी में नहीं हैं। कारांत-हिंदी शब्द नहीं है। संस्कृत-शद हिंदी में माकारांत : हो जाते हैं। एकारांत-(हिंदी) चौबे-चौवे । संस्कृत-शब्द हिंदी में नहीं हैं। श्रोकारांत-(हिंदी) रासो-रासा। संस्कृत-शब्द हिंदी में नहीं हैं। श्रीकारांत-(हिंदी)-जो-जौ। संस्कृत-शब्द हिंदी में नहीं हैं।