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पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/१३

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तीसरा अध्याय

वर्णों का उच्चारण और वर्गीकरण

२५--मुख के जिस भाग से जिप्त अक्षर का उच्चारण होता है, उसे अक्षर का स्थान कहते हैं।

२६--स्थानभेद से वर्णों के नीचे लिखे अनुसार वर्ग होते हैं--

कंठ्य--जिनका उच्चारण कंठ से होता है; अर्थात् अ, आ, क, ख, ग, घ, ङ, ह और विसर्ग।

तालव्य--जिनका उच्चारण तालु से होता है; अर्थात् इ, ई, च, छ, ज, झ, ञ, य और श।

मूर्धन्य--जिनका उच्चारण मूर्द्धा से होता है; अर्थात् ट, ठ, ड, ढ, ण, र और ष।

दंत्य--जिनका उच्चारण ऊपर के दाँतों पर जीभ लगाने से होता है; अर्थात् त, थ, द, ध, न, ल और स।

ओष्ठ्य--जिनका उच्चारण ओठों से होता है; जैसे, उ, ऊ, प, फ, ब, भ, म।

अनुनासिक--जिनका उच्चारण मुख और नासिका से होता है; अर्थात् ङ, ञ, ण, न, म और अनुस्वार।

कंठ-तालव्य--जिनका उच्चारण कंठ और तालु से होता है; अर्थात् ए, ऐ।