पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/२०१

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(१६६ ) आहट-(भाववाचक )-जैसे, चिल्लाना-चिल्लाहट, घबराना-घबराहट, गड़गड़ाना--गड़गड़ाहट, गुर्राना--गुर्राहट । यह प्रत्यय बहुधा अनुकरणवाचक शब्दों के साथ आता है। ई--(भाववाचक)-जैसे, हँसना--हँसी, बोलना--बोली, मरना-मरी, धमकाना-धमकी, घुड़कनी–घुड़का । __(करणवाचक )-जैसे, रेतना-रेती, आसना-फांसी । - इया-(कर्तृवाचक)-जैसे, जड़ना-जड़िया, लखना-- लखिया, धुनना-धुनिया, नियारना—नियारिया। ऊ-( कत्र्तृवाचक )-जैसे, खाना-खाऊ, रटना- रट्ट , उड़ाना-उड़ाऊ, बिगाड़ना-बिगाड़ , काटना-काटू । ऐया-(कर्तृवाचक)-जैसे, काटना--कटैया, बचाना-- बचैया, परोसना–परोसैया, मारना-मरैया । क. (कत वाचक)--जैसे, मारना--मारक, घालना--घालक। त-(भाववाचक)-जैसे, बचना-बचत, खपना- खपत, पड़ना-पड़त, रंगना-रंगत। न-(भाववाचक)-जैसे, चलना--चलन, कहना-कहन। (करणवाचक )-जैसे, झाड़ना-झादन, बेलना-बेलन । ना-इस प्रत्यय से क्रियार्थक और करणवाचक संज्ञाएँ बनती हैं। हिंदी में इस कृदंत से धातु का भी निर्देश करते. हैं; जैसे, बोलना, लिखना, देना, खाना। (करणवाचक ) जैसे, बेलना-बेलन, ओढना-प्रोढ़न।