पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/२३०

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( २२५ ) (ख ) कर्म के साथ-वहाँ जो कुछ देखने योग्य था, मैंने सब देख लिया। (ग) पूर्ति के साथ वह कौनसा मनुष्य है जिसने महाप्रतापी राजा भोज का नाम न सुना हो। (घ) विधेय-विस्तार के साथ-आप उस अपकीर्ति पर भ्यान नहीं देते जो बालहत्या के कारण सारे संसार में होती है। ४२०---विशेषण उपवाक्य संबंधवाचक सर्वनाम "जो" से आरंभ होता है और मुख्य वाक्य में उसका नित्यसंबंधी 'सो' वा 'वह' आता है। कभी कभी जो और सो से बने हुए जैसा, जितना और वैसा, उतना भी आते हैं। क्रिया-विशेषण-उपवाक्य ४२१-क्रिया-विशेषण-उपवाक्य मुख्य उपवाक्य के विधेय ___ का काल, स्थान, रीति, परिमाण, कारण और फल प्रकाशित करता है। ४२२-अर्थ के अनुसार क्रिया-विशेषण-वाक्य पाँच प्रकार __ के होते हैं-(१) कालवाचक, (२) स्थानवाचक, (३) रीति- वाचक, (४) परिमाणवाचक, और (५) कार्य-कारणवाचक। ४२३-कालवाचक क्रिया-विशेषण-उपवाक्य से निश्चित ___ काल, कालावस्थिति और संयोग के पौनःपुन्य का अर्थ सूचित होता है; जैसे, जब किसान यह फंदा खोलने को आवे, तब तुम साँस रोककर मुरदे के समान पड़ जाना। जब तक श्वासा तब तक आशा ।