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( ५० ) ११८-"यह", "वह", "सो", "जो" और "कौन" के रूप "इस”, “उस", "तिस", "जिस" और "किस" में अंत्य “स” के स्थान में "तना" आदेश करने से परिमाण- वाचक विशेषण और “इ” को “ऐ” तथा “उ” को “वै” करके “सा" आदेश करने से गुणवाचक विशेषण बनते हैं। उदा०- सर्वनाम रूप परिमाणवाचक विशेपण गुणवाचक विशेषण इस इतना ऐसा उस उतना वैसा तिस तितना तैसा जिस जितना जैसा किस कितना कैसा तीसरा अध्याय विशेषण ११६-जिस विकारी शब्द से संज्ञा की व्याप्ति मर्यादित होती है उसे विशेषण कहते हैं; जैसे, बड़ा, काला, दयालु, भारी, एक, दो, सब।