पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/८६

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(ऊ) अव्यय और दूसरे शब्दों के मेल से; जैसे, प्रति- दिन, यथाक्रम, अनजाने, नि:संदेह, बे-फायदा । (ऋ) पूर्वकालिक कृदंत (करके ) और विशेषण के मेल से; जैसे, मुख्य-करके, विशेष-करके, बहुत-करके, एक-एक- करके। १८६-हिन्दी में कई एक संस्कृत और कुछ उर्दू क्रिया- विशेषण भी आते हैं। ये शब्द तत्सम और तद्भवा दोनों प्रकार के होते हैं। (१) संस्कृत क्रिया-विशेषण तत्सम-अकस्मात्, पश्चात्, प्रायः, बहुधा, पुनः, अतः, अस्तु, वृथा; व्यर्थ, वस्तुतः, संप्रति, कदाचित् । तद्भव-पाज ( सं०-अद्य), कल (सं०-कल्य), परसों (सं.-- परश्व), बारम्बार (सं०-वारंवारं), पागे (सं०-प्रमे), साढ़े (सं0-- सार्धम्), सामने (सं०-सम्मुखम्)। (२) उर्दू क्रिया-विशेषण तत्सम-शायद, ज़रूर, बिलकुल, अकसर, फौरन, बाला-बाला । तद्भव-हमेशा (फ़ा०-हमेशह), सही (१०-सहीह), नगीच (फा०-नज़दीक), जल्दी (फा०-जल्द), खूब (फ़ा०-खूब)।

  • हिन्दी में प्रचलित मूल संस्कृत शब्द ।

में संस्कृत से बिगड़कर बने हुए शब्द ।