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पृष्ठ:मध्य हिंदी-व्याकरण.djvu/८७

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१८७-अर्थ के अनुसार क्रिया-विशेषणों के नीचे लिखे चार भेद होते हैं- (१) स्थानवाचक, (२) कालवाचक, (३) परिमाण- वाचक और (४) रीतिवाचक । १८८-स्थान-वाचक क्रिया-विशेषण के दो भेद हैं-(१) स्थितिवाचक और (२) दिशावाचक । . (१) स्थितिवाचक-यहाँ, वहाँ, जहाँ, कहाँ, तहाँ, आगे, पीछे, ऊपर, नीचे, सामने, साथ, पास, सर्वत्र.। . (२) दिशावाचक-इधर, उधर, किधर, जिधर, दूर, परे, अलग, आरपार, इस तरफ, उस जगह। १८६-कालवाचक क्रिया-विशेषण तीन प्रकार के होते हैं- (१) समयवाचक, (२) अवधिवाचक, (३) पौन:पुन्यवाचक 13 (१) समयवाचक-आज, कल, परसों, नरसों,' अब, जब, कब, तब, अभी, कभी, जभी, तभी, फ़िर; तुरन्त, सबेरे, निदान । (२) अवधिवाचक-आजकल, नित्य, सदा, सर्वदा, निरन्तर; अब तक, कभी कभी, लगातार, दिन भर, कब का। । (३) पौन:पुन्यवाचक-बार-बार (वारंवार ), बहुधा (अकसर), प्रतिदिन (हर रोज़); घड़ी-घडी, कई बार, पहले- फिर, एक-दूसरे-तीसरे इत्यादि . .. : . . . -- १६०-परिमाणवाचक क्रिया-विशेषणों से अनिश्चिन संख्या वा परिमाण का बोध होता है ! , उनके भेद, ये हैं-