पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/१०

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मनु० विपरस्नी ५.३ गम पांजगोमाश किस प्रकार व्यवहार संत्रास २१०-१५ गुष की शुभ पाने विद्या की प्रालि उदारवा या मा मासावे, ग्राम में मन नहाने है. मंद्रिय नकमाता न नाय नाप्राय धत्त३१-२०१ शानना का नियम मोमबसे उत्तम बान मा २२-२२३ far कद को पाते है २४ माना fat माह का अपमान न करे. इन की प्रतिष्ठा शिवा, धर्म. स्त्री, नीन में भी प्राण करले २३८-०४० आपकाल में भग्रामगमग त्यादि २४१-२४४ का बानु गुम में पूर्व न भागे पन्नु गुरु की भाशा मलान पूर्व भी काले २४१-२४६ आचार्य के माने पर गुरु पुषादि का मान करें: म्यादि 231-539 तृतीयाध्याय में- वर्ष आदि का प्रमभन रब कर वेद पढ कर जो गृहमा यने, उप ममानिन को गोदाम मपिगदादित्रिय वित्रा अयोग्य है "fonोग में आमवर्ग विवाद के नियम" श्रद्रा आदि होन न्यो मे विवाह न करे शहा विवाह ने पनित होने में अनेक मत में विवाह की निन्दा याट मशा के विवाह श्रीर उनके नाम 30-31 विवाही में से किन्न वर्ण का कौन विवाह धर्ना है"२-१६