पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/११

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मनुस्मृति म०३ मापानुवाद . आहो विवाही के मिन मिन्न लक्षण प्राह्मणों को कन्यादा । सड्डाण की प्रशला इन विवाह के गुण दापों के वर्णन में भृगु की प्रतिभा प्रक्षित ब्राह्मादि ४ विवाह के पुत्रों की न्यूनाधिक प्रशपा ३-१२ "लवर्णा विवाह के विधान" प्रक्षिप्त त्रियों के ऋतुकाल का सविस्तर वर्णन ४५-५० कन्या के मूल्य लेने को निन्दा और निषेध स्त्रियों की पूजा की प्रशाला और निरादर को निन्दा ५५-६२ कुलीनमा की हानि और उन्नति के कारण पञ्चमहायों का वर्णन ६७-७१ अग्नि में दो हुई आहुनि से जगदुरकार में युक्ति प्रमाण ७६ गृहाथमी की श्रेष्ठता खाध्यायादि ले ऋष्यादि की पूजा ८५-८३ वैश्वदेवयज्ञ की १० आहुति और १६ कि कुत्सो आदि के माग, वैश्वदेव की प्रशसा अनिधियह की विधि, फल, अनिधि लक्षणादि सद्योविवाहिता भादि स्त्रियों का अनिधि से पूर्व ही भोजन वंदना इन सर को भोजन करा कर ही स्वयं भोजन करे ११५-११७ इस के पिना स्वयं भोजन करना पाप भोजन है राजादि घर आवे ना मधुपर्क सत्कार १११-१२० मायङ्काल के भोजन में वैश्वदेवकर्म सुन श्राद्ध का प्रक्षित वर्णन 69-८० } "