पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/१७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

मनुस्मृति ०५ (१४) भाषानुवाद पानाधर्म वर्णन की प्रतिक्षा गृहस्थ वर्म वर्णन का उपहार - पञ्चमाऽध्याय में- I T

  • पियों का भृगु से संवाद प्रक्षिप्त

बालस्यादि दोपों में मृत्यु की समीपता लशुनादि अभक्ष्य द्रव्यगणना "भमत्य मामाका गणना ओर मांसमक्षग में दोष न मानने के इंतु" प्रक्षिप्त अमत्य द्रव्यों में अपवाद रूप भक्ष्य दध्यादि "मांस भक्षण के विधि भार निषेध, यक्षार्थ मास भक्षण की निदापता, इस में हतु" इत्यादि प्र. २६-४२ [महाभारत के प्रमाण से मनुका माल विरुद्ध सम्मान] १ येदविहिन हिंसा अहिंसा, मांस भक्षण के दाप, न भक्षण की प्रशसा "मध मांस मैथुन में दोष नहीं" क्षिप्त प्रेतशुदि मृतक का अशांच 49-७४ परदेश में मृतक की सूचना पर अशीचादि शघस्पर्शादि की अशुद्धिये ८५-८८ सहर जातादि का सूनकादि नहीं, न कमिया ८६-० आचार्यादि मृतक को उठाने से प्रती का व्रत भट्ट मही हाता पहादि मृतकों को दक्षिणादि नियत दिशाओं से निकालना