पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/१८

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मनु विषयसूची म०५ राजा आदि जिन की वा जिन का अशान नहीं दाना - ब्राह्मणादि की शुद्धि के जन्लम्पादि भिन्न २ साधन मामपिण्ड प्रेन शुद्धि की व्यवस्था १००-१०१ ब्राह्मण मृतक को शूद्र से न उठवावे २०४ अपन, नग, अग्नि आदिशद्विकारक पदार्थ अशुद्धि ईमान्दारी) बडो भारी शुद्धि है विद्वान आदि शमादि में शुद्ध होने हैं भिन्न २ पात्राहि भिन्न २ मत्तिकरिम शुद्ध होने हैं 1०८-१३६ अदृष्टादिका गद्धमानना. अधिक जाला शुद्धमानना १२७-१२८ कारीगर आदि हाथ आदि मानने "स्त्रीमुख और शिकार का मामादिशुद्ध मानना" सिन १३०-१३१ नामि से ऊपर की इन्दियों की शुद्धता (मेध्यना) १३२ मक्खी आदि या अशुद्ध न मानना मल मूत्रादि त्यामार्थ कितना जल मिट्टी लेना देह के १२ मलों की संख्या गुहा आदि में कितनी बार मिही लगाना गृहस्थानि थाश्रम भेद से शुद्धि भेद मल मूत्रत्यागौचर आचमनादि शूट सेवकों के मासिक बपनादि स्त्रोधर्म, स्त्रियाको परमानना, ना आदिस वियुक्त न रहना, उच्छिष्ट को छूने आदि की अशुद्धि पर कर्तव्य प्रसन्न रहना, स्त्री पुरुषका सम्बन्ध, पनिकी प्रशंसा पतिशुभ्र पा और परपुरुष का त्याग १४७-१८