पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/१७७

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. मनुस्मृति भाषानुवाद "विना कारण माता पिता गुरु का त्यागने वाला, पतितों से अध्ययन और कन्यानादि सम्बन्ध वाला ॥१५०ा घर का जलाने वाला, विप देने वाला, कुण्ड का अन्न खाने वाला. सोम बेचने वाला, समुद्र पार जाने वाला, राजा की स्तुति करने वाला, तेली और झूग साक्षी, ॥१५८॥ पिता से लड़ने वाला, धूर्त, मद्य पीने बाला. कुटी, कलङ्की, दम्भी, रस बेचने वाला ॥१५९॥ धनुष वाए का बनाने वाला (वड़ी बहिन से पहिले जिस छोटी का विवाह होता है वह अनिधिषु कहाती है) अनविधिपू का पति, मित्र से द्रोह करने वाला, जुबेका रोजगार करने वाला, पुत्रसे पढ़ा हुआ॥१६॥ मिरगी वाला, गण्डमाली, श्वेतकोढ़ वाला, चुगलखोर, उन्मादरोग वाला, और अन्धा ये वर्जित है। और वेद की निन्दा करने वाला ॥१४ा हाथी, पैल, घोडा और अंट को सीधा चलना सिखाने वाला, ज्योतिषी, पक्षियों का पालने वाला, युद्ध विद्या सिखाने वाला ॥१६AI नहर आदि तोड़ने वाला, उसका बन्द करने वाला, गृह- वातु विद्या में जीविका करने वाला, दूत, वृक्षो का लगाने वाला ॥१६॥ कुनों से चलने वाला, बाज खरीदने बेचने वाला, कन्या से गमन करने वाला हिमा करनेवाला शूद्रवृत्तिवाला (विनायकादि) गों की पूजा कराने वाला ॥१८४ा आचारसे हीन, नपुंसक, नित्य भील मागनं वाला, खेती करनेवाला- पीलिया रोगवाला, और जो सत्पुरुषांस निन्दित हो।।१६५ामेंदा और भैंससे जीनेवाला, द्वितीया विवाहिता का पति, प्रेतका धन होने वाला, ये (ब्राह्मण) यत्नपूर्वक आह में वर्जनीय हैं ॥१६६। इन निन्दित आचार वाले और पंक्ति चाण अधमों को द्विजों में श्रेष्ठ पिहान् देव और पितृकमों में त्याग देवे ॥१६४ा विना पढ़ा ब्राह्मण पूस की अग्नि के समान उडा हो जाता है । इससे उस ब्राह्मण को हवि न देवे, क्योंकि