पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/२०

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मनु विषयसुची अ६ पोना आदि, निन्दा का सहना और क्रोध, बैर असत्यादि का त्याग ध्यान में रहना, गणितादि विद्या से जीविका न करना, अन्यों से बसी जगह में न रहना, डाढ़ी मूंछ मुंडाये रहना "धातु के पात्र न हो इत्यादि प्रक्षिप्त एक काल मजन गृहस्थों को आवश्यकता पूरी होने पर भिक्षा लाना, साहा भोजन भोजन न मिले तो भी शोक न करना अपमोजी होना, इन्द्रियदमनादि मनुष्यों की कर्म गतियों पर दृष्टि डालना, मृत्यु, शोक, भय , उत्पत्ति, परमात्मा की सूक्ष्मता का ५३-१४ विचार करना निन्दा करने पर भी धर्म करना, लिङ्ग धर्म का कारण नहीं नाममात्र से शुद्धि नहीं होती पृथ्वी को देख कर चलना, अज्ञात जन्तु के मर जानेकाप्रायश्चित्त, प्रणायामका फक अन्तरात्म गति का विचार, देह की घृणितता का विचार, इस के त्याग की प्रशसा प्रियाऽप्रिय में एक भाव, इन्द्रत्याग, वेदान्तादि पाठ संन्यास की प्रशसा, मुक्ति की प्राप्ति धर्मपूर्वक सभी आश्रमों से मुक्ति प्राप्ति, गृहस्थ की बड़ाई, दश लक्षण चाला धर्म सेवनीय है गृहस्थ में ही मन्यालफल प्राप्ति, सन्यासी को वेदन ३