पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/२६

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मनु रिषयसूची ( २३ ) चाहिये, राजपुरुष अधमर्ण से प्रश्न (जिरह ) करे, मिद्ध न कर पाये ना धन न पावे, नालिश कर के फिर पैरली न करे ना दण्डामास नक उपस्थिन न होता हारजावे, नटने घालेको नटने के अनुमार दण्ड इत्यादि कैसे लोग सामो करने, कैसे न करने. कौन साक्ष्य योग्य है, कोन नहीं, बाल, वृद्ध, रोगी आदि को सादर में स्थिरमति न मानना, साहसादि में उक लक्षण के ही साक्षियों की आवश्यकता नही, साक्षियों के परस्पर विरोध में राजा का कर्तव्य लालीको धर्म विरुद्ध असत्य से बचना, गज समा में आये सालियों से साक्ष्य लेने का प्रकार, सत्य साक्ष्य की स्तुनि, असत्य की निन्दा ७५-८४ साक्षी असत्य कहते हुवे यह न समझे कि हमें कोई देखना नहीं प्राणादि वर्णीमे भिन्न प्रकार साक्ष्य पूछे, असत्य ने बचने के लिये लामोको कई प्रकार के शपथ कराना, सत्यवादी की प्रशसा निस र साक्ष्य में झूठ बोलने से कितने २ वान्धयों मारनेका पाप है, भिन्न २ पदार्थोक असत्यसाध्य में मिन २ पाप गोरक्षकादि विप्रोसेशद्र के समान साक्ष्य पूछे दो ग्लोक अधिक मी ६७-१०२ "शूद्रादिक बचानेको असत्य साक्ष्य निर्देषि है प० १०३-१०४

  • तु वे असत्यवादी एक प्रकार का प्रायश्चित्त

हेम करें" प्रक्षिप्त १०५-१०६ साक्ष्य न दे सकने की अवधि (मियाद), साक्षी