पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/२७

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मनुस्मृति ०८ भावानुवाद न हो तो शपथ से निश्चय करना १०७-१०६ "शपथ (कसम ) करने में इतिहास प्रमाण प्रक्षिप्त ११० झूठी शपथ न करना, करने से नाश "स्त्री आदि के निमित्त झूठ शपथ भी करें" प्रक्षिप्त ब्राह्मणादि वर्गों को मिल रपय कराधे 'सत्यपरीक्षार्थ अग्निदाहादिन लगेना सत्य जाने'० ११४-११६ असत्य साक्ष्य के निर्णय निर्णय हैं जिन मान्य में जो जिस २ कामादि कारण से असत्य वाले उसका भिन्न पदण्ड १९७-१२२ दएड के हस्तच्छेदादि १० स्थान, प्रामण को न्यून दएड, अधर्म दण्डादिको निन्दा चादरबादि ४२११३-१३० अमरेणुसे लेकर उत्तम साहलपर्यन्त विविध सिक सक्षा, नाप बा नाल, ब्याज लेने का प्रकार, धरोहर (भमानठ), गिरवी, माह आदि का निर्णय आधि, सीमा आदि मेागनेसे मही कुटनी, अर्धद्धि का भाग, पृद्धि (ध्याज) में प्रकार और परिमाण, ऋण का कागज भादि बटलबाना, प्रतिमू (जामिन) आदि होना, पिता का पुत्र पर मावश्यक नही, देने का ज़मानत दायादों से भी ढिलाना जमानन के अन्य विचार मत्त उन्मतादि के मुकद्दमे नही चलते, कानून विरुद्ध शर्त मत्य न होगी, छलकत गिरवी मादि लौटाने योग्य हैं, कुटुम्धार्थ ऋण लेनेवाला मरजावे तो अलगहुए दाया को भी देना चाहिये, कुटुम्वार्थ पुत्रादिकृत लेनदेन का भार कुटुम्बी पर है,यलात्