पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/२९

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भाषानुवाद मनुस्मृति मा "बामण अवध्य है प्रक्षित परस्त्रीगमन में ग्रामणादि के दण्ड भेद, ऋत्विज का का त्याग, पिता,माता आदिक त्यागपर गजदण्ड ३८२-३८६ बानप्रस्थों के विवाद में दण्ड न देकर समझाना सकाई के सत्कार न करने पर राजा की ओर से शिक्षा, सूत और जुलाहे के निर्णय, राजा के विक्रय द्रव्यो का विचार, क्रयविक्रय में राजनियम मात्र नियत करना आप नील बार आदि की परीक्षा ३०-४०३ पुल बा नौका के महसून इत्यादि घाह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्रों की वृत्ति में राजा का हस्तक्षेप शूद्रों (दास) के ७ भेद इत्यादि ४३०-४१८ राजा का कोषादि निरीक्षण में सावधानी, धी राजा की मुकि ४११-५२० नवमाऽध्याय में- स्त्री पुरुष धर्म, सी की परतन्त्रता, स्त्री की रक्षा, जाया शब्द का निर्वचन स्त्रीरक्षा के काम वा उपाय स्त्रो के ६ दृषण का वर्णन "रित्रयों की अषा निन्दा" स्त्रीपुंधर्म का उपलक्षार १४-२५ सनातनधर्म सन्तन में स्त्री की घड़ाई, क्षेत्र में योज २६-४१ "परस्त्री में बोजनवाने के लिये इतिहास प्रक्षित ४२-४३ स्त्री पुरुष को एकाङ्गता, कन्यादानादि ३ कार्यका ! ही बार न होना क्षेत्र बीज आदि विवाद ४४-४५ लियाँका मापद्धर्म नियोगका निणय 'वेन कथा' :०५६-६८