पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/३३

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मनुस्मृमि म०१० भावानुवाद घर खवा में उत्पन्न तान का जातिधाहीन श्रोत्पन सन्तानों का पर्या, उनके अम्बादि भेद वर्णसङ्करी का उपसंहार अनुलोमप्रतिलोम सड्डाण योनि सूनवैदह चाण्डाल आदि भेद २५-४१ तप और घीजादि के प्रमाव से नीचता अत्रियों को अधम जानिये पौण्डक कालोजादि, दस्यु इन सब की जीविकाओं के भेद ४२-१६ वर्णसङ्करादि को पहचान अधिक वर्णसङ्कर पाले राज्य का नाश. बामण के प्राण रक्षणादि कमों के प्रभाव से पतिता की वचना, हिन्मादि चातुर्वर्य धर्म, शूद्रादिका बामणदशदि वा ब्राह्मणादि का शूद्र स्वादि को प्राक्ष होना, मार्य से अनार्या वा अनार्य से आर्या में उत्पन्न सन्तान का अधिकार बीज और योनका वलायल अनार्य आर्यका वा आर्य अनार्यो में विक धामणादि के क्ट कर्मादि वर्णधर्म और भापद्धर्म "बहुत से व्यापारी को वृथा वर्जिन करना" माचे को अंच जीविका न करना, शूट के मापद्धर्म, ब्राह्मण की आपत्ति में वृत्ति, प्रनिप्रहको निन्दा, जए दाम, शिलांछादि वृत्ति, राजा से ब्राह्मण जीविका कब २ मांग सकता है, दाय आदि धर्म्य धनागम विद्या शिक्षणादि १० जोविकार्य, बामण क्षत्रिय को व्याज न खाना, आपत्ति में क्षत्रिय को व्याज खाने का नियम, क्षत्रिय का वैश्य मादि से घलि ग्रहण १९२० प्र०