पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/३८

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मनु० विषयसूची (३५) अ० १२ ११०-१२५ न हो वहां शिष्ट ब्राह्मण वचन प्रमाण, शिष्ट ब्राह्मण का लक्षण १०४-१०६ "या ३ विद्वानों की सभा वा १ भी विद्वान् का धर्म में प्रामाण्य, अज्ञानी बहुनों का भी अप्रामाण्य, मूर्वनिर्धारित धर्माभास का दुष्ट फल, धर्मानुयाया को मुक्ति,मात्मशान "फनति" भूमिका (निवेदन) में- विषय विषयसूची पुस्तक के भाष नुवाद का कारण शिन ३० पुस्तको से पाठ की सहायता ली है उनके नारा तथा स्वामियों के नाम किम २ अध्याय में कितने २ लोक प्रक्षिप्त हैं मनु के आरम्भ में एक नवीन श्लोक १६ पुस्तकों में मिला है अध्याय १ से २ तक में जो २ श्लोक किन्हीं २ पृष्मकों में है यह पुस्तक मनुस्मृति भापानुवाद ज्वार श्री पं० तुलसीराम जी के समय मे छपा। ८ से अब १४ वी वार तक मेरे प्रवन्ध से छपा है । भूलचूक हो सो पाठक मुझे सूचित करे जिस से आगे को सुधार दी जासके। छुट्टनलाल स्वामी, मेरठ