पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/३८८

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। और विपके दूर करने वाले ग्ल का नियम से सना (राजा) पारण करें। परीचिनाः स्त्रियश्च न्यजनोदकधूपनैः पाभरणमंशुद्धाः स्पृशेयुः सुसमाहिताः ॥२१६।। एने प्रयत्नं कुर्वीत यानशग्यासनाशने । स्नाने प्रसाधने चैव सर्वालङ्कारकेषु च ।।२२०॥ परीक्षा की हुई, वेष आभूपण से शुद्ध, एकाग्रचित्त स्त्रिया पंखा, पानी, धूप गन्ध में राजा को मेवाकरें ।।२१९। इसी प्रकार का (परीक्षादि) प्रयत्न वाहन, शय्या. आमन, माजन लान, अनुलेपन और सब अलक्षरों में भी करे ।।२२०|| वक्तवार विहरेचैव स्त्रीमिरन्तःपुरे सह । विहत्यतु यथाकालं पुनः कार्याणि चिन्तयेत् ॥२२॥ अलंकृतश्व संपश्यदायुधीयं पुनर्जनम् । वाहनानि च सर्वाणि शस्त्राण्याभरणानि च ॥२२२॥ भाजन करके इमी अन्तःपुर में स्त्रियों के साथ कुछ देर दहले फिर (राजसम्बन्धी) कामों का विचार करें ।।२२शा शस्त्राभूपणादि असार धारण किये हुये श्रायुध से जीने वालों (सवार सिपाही आदि) और सम्पूर्ण वाहनों तथा शस्त्री और प्राभूषणो को दे । संध्यां चोपास्य शृणुयादन्तर्वेश्मनि शस्त्रभृत् । रहस्याख्यायिनां चैव प्रणिधीनां च चेष्टितम् ॥२२३।।