पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/४०

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भूमिका ३७ सर्वज्ञ नारायण, कुल्लूक राघवानन्द, नन्दन और रामचन्द्र इन परिश्रमी और प्रसिद्ध ६ टीकाकारोकी टीकाअोके अतिरिक्त १- बङ्गाल ऐसियाटिक सोसाइटी। २ उज्जैनके सोरठी बाबा रामभाऊ । ३-उज्जैनके आठवले नाना साहय । ४७ मुन्शी हनुमान प्रसाद प्रयाग । ८ खण्डवाके रावबहादुर खेरे वल्लालात्मज वासुदेव शर्मा । ९-१० मिरजके महाबल वामन भट्ट ११-यौतेश्वरके रामचन्द्र । १२ १४-पूनाके ज्योतिपी बलवन्तराब १५ अहमदाबाद के सेठ वेचर दास । १६ शम्भु महादेव क्षेत्रके जावड वलवन्तराव । १७ बङ्गाल ऐसि० के मूल पुस्तक । १८-आर्टेलिमये के गोविन्द । १९-लण्डन का मूल पुस्तक । २० कलिकाता राजधानी का छपा । २१ मिरज के वामन भट्ट का रावधानन्दी टीका का । २२ वडोदेके बासुदेव । २३-जयपुर के लक्ष्मीनाथ शास्त्री (राब०) । २४-मद्रास के दीवान बहादुर रघुनाथराव । २५-पूनेके गणेश ज्योतिर्विद् । २६-पूनाके गोखले भट्ट नारायण । २७ जयपुर के लक्ष्मीनाथ शास्त्रीका मूल मात्र २८-सर्वज्ञना० टी०। २९-३० आलिमयेके गोविन्द राघवा० टीका । इन ३० प्राचीन पुस्तकोका संग्रह किया है। पाठान्तर पाठा- धिक्य श्लोकाधिक्य आदिको देखभाल कर यथासम्भव अपनी सम्मति लिखोरे सावधानी की है। और अब तक आकुछ विचार किया उससे चिन्हयुक्त प्रति अध्याय क्रम से ३४ । ४ ।.१६७ ।२०१४१ । ।३।१९। ४९ ॥ १९ ॥ २२ ॥ ४ सय ३८२ श्लोक प्रक्षिप्त जान पड़े है । परन्तु अभी कई विचारणीय भी हैं । आशा है कि सज्जन इस श्रमसे प्रसन्न होंगे। मनुस्मृति के प्रथमाध्याय के प्रारम्भ में ही सबसे प्रथम ३० प्रकारके प्राचीन लिखे पुस्तको मे १९ प्रकारके पुस्तकोमे एक श्लोक अधिक पाया जाता है और श्लोक संख्या उसपर नहीं है। इससे भी पाया जाता है कि वर्तमानमे जो मनुस्मृतिका पुस्तक मिलवा है. यह मनुप्रोक्त नहीं किन्तु अन्य का बनाया है । इसीमे यथार्थ