पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/४५

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मनुस्मृति भाषानुवाद अध्यायों का भिन्न २ विषयसूची किसी ने श्लोक बना कर मिलाया है उसकी भाषा टीका भी हमने की है । परन्तु वहां जन को विस्तार से कोई विपय जानना हो नहीं जान सकते । बहुत शोब मैंने यह बनाया और छपाया था इस से बहुत सुधारने पर भी जहां जो कुछ अशुद्धि रह गई हों और पाठक गण को दृष्टि पड़े तो सरलता से मुझे लिखें, अगली बार छपेगा उस में भी और ठीक कर दिया जायगा ।। इसके अतिरिक्त हेमादि आदि लोगों ने ऐसे कई वचन कहे हैं जो उन्होंने मनु वचन कह कर लिखे हैं, परन्तु वे वचन अब मनु मे नही मिलते। ऐसे वचनों का संग्रह ४६६ श्लोकों के अनुमान ज्ञात हो चुका है। जैसा कि धर्माब्धिसार मे १, स्मृति चन्द्रिका में ३२, दानहेमाद्रिम ११, व्रतहेमा में १, श्राद्धहेमाद्रिमे ३१, स्मृतिरलाकर मे ५३, शूद्रकमलाकर में १४, पराशरमाधव मे ४७. निर्णयसिन्ध में १५. मिताचरा मे १३, संस्कारकौस्तुम मे ६, विवादभनाव में १७, नारायणभक्त प्रयोगरत्न संस्कारमयूखमें २, व्यवहारतत्वमें १, दायक्रमसंमह में २, श्रीमद्भागवत ३ । ११३६ की टीकामें १, शङ्करदिग्विजय १, प्रकरण मे २, सस्कारमयूखमे ४, आचारमयूखमे ८, श्रद्धामयूखमे २, व्यवहारमयूख मे २, प्रायश्चित्त मयूख मे १०, और वृद्ध मनुके नाम से १७४, बृहन्मनु के नाम से १७ इस प्रकार श्लोक ४६६ हुवे। तथा मेधातिथि के समस्त पाठ भेद ५०० के लगभग हैं। कुल्लूक के पाठभेद भी ६५० के ऊपर हैं। राघवानन्द ने भी ३०० से ऊपर पाठभेद माने हैं। नन्दन ने १०० के लगभग पाठभेद माने हैं। इत्यादि अनेक हेतु इस पुस्तक के (जो वर्तमान समय मे मिलवा है) ठीक २ मनुकृत होने मे पूर्ण सन्देहजनक है। मेरठ २२१५१ १९१२ तुलसीराम स्वामी