पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/४६८

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अमाध्याय असन्धिनानां सन्धाना सन्धितानां च मोचकम दासाश्वस्थहनांचप्राप्त. म्याचोरकिञ्चिपम् ॥३४२० पर्च से गद्ग मार्ग का चलने वाला द्विज दमर के येत से दो गन्ने प्रौर ने मूली ग्रहण कर लेने वाला दगड देने योग्य नहीं है SHAYAT Jले बुमरे के पश्यादि का पान वाला और बंधों को बाल देने वाला और नाम 'प्रश्व और रथ कारण करने वाला बार के दात को मान होना अनेन विधिना गजा कारणः स्तननिग्रहम् । यशोऽस्मिन्प्राप्नुयालोकप्रेन्य चानुत्तमं सुखम् ॥३४३।। म्यानमभिन्न मुशवाक्षमव्ययम् । नापततनयमपि गजा माहमिकं नरम् ॥३४४|| इस प्रकार चोरों शनिया करने वाला गजा इस लोक में पश और परलाग्ने अनुत्तम सुन्न संपावंगा ।।३४माइन्द्र के स्थान का इन्चा करने वाला और अनच यश या चाहने वाला राजा साहम बारने वाले मनुष्य की क्षण भर भी पंचा न करे (तुरन्त दगह ) 1180 चान्दुष्टातस्कराच्चत्र दण्डेनैव च हिमनः । साहमस्य नरः कता विनयः पापकृत्तमः ॥३४॥ साहस वर्चमानं तु यो मर्पयानि पार्थिवः । म विनागं बजत्याशु विट्ठ में चाधिगच्छनि ॥३४६॥ बास्पान्य (गाली गलौज) करने वाले चोर तथा दण्ड द्वारा मारने वाले ने "माहम (जबरदस्ती) करने वाले मनुष्यको