पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/४९४

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नवमाऽध्याय ४९१ पुत्र के विषयमे पहले शिष्ट महर्पियो का कहा हुवा यह बदन- माण पवित्र सर्वजनहितकारी विचार सुनो ॥३शा भर्ता ही का पुत्र होता है । ऐसा लोग जानते हैं परन्तु भर्ता के विषय में दो प्रकार की बात सुनते है । काई उत्पन्न करने वाले को लड़के वाला कहते हैं और दूसरे क्षेत्र के स्वामी पति को लड़के वाला कहते हैं ।।३सा (आगे इस विवाद का निर्णय है-) क्षेत्रभूता स्मृता नारी बीजभूतः स्मृतः पुमान् । क्षेत्रीजसमायोगात्संभव- सर्वदेहिनाम् ॥३३॥ विशिष्टं कुत्रचिद्वीजंत्रीयोनिस्त्वेव कुत्रचित् । उमयं तु समं यत्र सा प्रसूति' प्रशस्यते ॥३४॥ खेत रूप स्त्री और बीज रूप पुरुष होता है । इस कारण खंत और बीज के मिलने से सम्पूर्ण प्राणियों की उत्पत्ति होती है ।३३। कहीं बीज प्रधान है और कहीं क्षेत्र । परन्तु जहां दोनों समान हैं यह उत्पत्ती श्रेष्ठ है ॥३४॥ बीजस्य चैत्र योन्याश्च वीजमुत्कृष्टमुच्यने । सर्वभूतप्रमतिर्हि बीजलक्षणलचिता |३५॥ यादृशं तूप्यते वीज क्षेत्रे कालोपपादिते । तामोहति तस्तिन्बोज सौन्जितं गुणैः ॥३६॥ वीज और बेत इन दोनों में बीज प्रधान है क्योंकि संपूर्ण जीवों की उत्पत्ति चीजों ही के लक्षण से जानी जातीहै ।।३५।। जिस प्रकार का वीज उचित समर (चर्यादि ऋतु) मे साकृत खेतमे बोया जावा है उस प्रकार का ही बीज अपने रखरूपाटि गुणों से युक्त उस खेत में उत्पन्न होता है ॥३॥ .