पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/४९६

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नवमाऽध्याय ४९३ वह बीज बुद्धिमान और शिष्ठ तथा ज्ञान विज्ञान के जानने वाले और आयु की इच्छा करने वाले को दूसरे की स्त्रियों में कभी न दोना चाहिये ।।४१॥ भूतकाल के जानने वाले इस विषय में वायु को कहीं गाथा (छन्दो विशेगयुक्त वाक्यो) को कहते हैं। स्था- पुरुष को पराई स्त्री में वीज न वाना चाहिये ।।४२।।' नश्यतीपुर्यथाविद्ध खे विद्धमनुविध्यतः । तथा नश्यति वैक्षि4 वीज परपरिम्हे ।।४।। पृथोरपीमां पृथिवी भार्या पूर्वविदोविदुः । स्थाणुच्छेदस्य केदारमाहु. शल्यवतो भूगम् ॥४॥ जैसे दूसरे के बीचे मृग को किस से मारने से वाण निष्पाल होता है। ऐसे ही दूसरे की स्त्री में बीज का बोना शीत्र निष्फल होता है ॥४शा इस पृथिवी को जो पहले राजा पृथु की भार्या थी (अनेक राजाओं के सम्बन्ध होते भी) पुराने लोग पृथु की भार्या ही जानते हैं । ऐसे ही लकड़ी आदि काटकर प्रथम खेत बनाने वाले का खेत और जिसने पहले शिकार किया उसी का मृग है पिसे ही पहले विवाह करने वाले का पुत्र होता है । पञ्चान् केवल सन करने वाले का नहीं ॥ सष्ट है कि यह वायु गीता पृथ 'राजा से पीछे मनु मे मिल गई) ॥४४॥ एतवानेव पुरुषो यज्जायात्मा प्रजेतिह । विप्राः प्राहुस्तथा चैवद्यो म सा स्मृताङ्गना ।।४।। ननिष्क्रयविसर्गाम्यां भतु भार्या विमुच्यते । एवं धर्म विजानीमः प्राक्प्रजापतिनिर्मितम् ॥४६॥ स्त्री और आपा तथा सन्तान ये तीनों मिलकर एक पुरुष कहलाता है । तथा वेद के जानने वाले विप्र कहते हैं कि जो पति .