पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/५२०

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नवमाध्याय स्त्री तथा धनका धारण करे वह (नियोग विवि में) भाई का पुत्र उत्पन्न करके उस धन को उसी को दे देवे ॥१४॥ या नियुक्ताऽन्यतः पुत्रं देवराद्वाप्यमाप्नुयात् । तं कामजमरिक्थीयं वृधोत्पन्न प्रचक्षते ॥१४७॥ "एतद्विधान विज्ञयं विभागस्यैक्रयानिषु । वडीपु चैकजातानां नानास्त्रीपु निबोधताया' जो स्त्री विना नियोग देवर से वा दूसरे से पुत्र को प्रार हो उस काम को द्रव्य का भागी नई कहते ॥१४७ "समान जाति वाली भार्या में एक पति से उत्पन्न पुत्रों के विभाग का यह विधान जानना चाहिये । अब नाना जाति का बहुत स्त्रियां मे एक पति से उत्पन्न पुत्रो का (विभाग) मुनेः ।।१४८॥' "ब्राह्मणस्यानुपूर्वण पतमस्तु यदि त्रिय. । तासां पुत्रेषु जातेपु विभागेऽयं विकि. मृत ॥१४॥ कीनाशो गोपी यानमलसारच वेश्म च । वित्रस्यौद्धारिक देयमेकाशव प्रधानन. ॥१०॥' "ब्राह्मण की क्रम से (ब्राह्मणी से आदि लेके) यदि चार भार्या हावें तो उन के पुत्रों में यह विभाग विवि कही है कि. ।।१४९। कृषि वाला बैल अश्वादि सवारी आभूपण घर और प्रधान अंश प्रधान भूत ब्राह्मणी के पुत्र को देवे (ओरो का आगे कहे अनुसार दे) ॥१५॥ "श दायारेविप्रो द्वावंशी क्षत्रियामुत । वैश्याज. साघमेवांशमशं शनामुतोहरेन् ॥१५१।। सर्व वा रिक्थजान तहशधा परिकल्प्य च । धर्य विभागं कुर्वीत विधिवाऽनेन धर्मविन् ॥१५॥