पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/५४८

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नवमाध्याय । जो तालाब के जल को तोड़े उस का जल में डबा कर पा सीवा ही मार डाले और यदि यह उस को फिर वनवा देव तो "सहन्न पण" दण्ड दे ।।२७९॥ गजा के धान्यागार (गाहाम) वा हथियारों के मकान अथवा यज्ञ मन्दिर को तोड़ने वालों और हाथी, घोड़ा और रथ चुरान वालाको बिना विचार हननकरे ।२८० यस्तु पूर्वनिविष्टस्य तड़ागस्योदक हरन् । प्रागर्म वायां भिन्यात्सदाप्यः पूर्वसाहमम् ।२८१॥ समुत्सजेद्राजमार्गे यस्त्वऽभयमनापदि । स द्वी कापणी दद्यादसेध्यं चायशोधोद ।२८२ जो कोई पहले बने तालाब का (सब ) पानी हर ले या पानी कंचीत वा भागमन का बन्द कर वह "प्रथम साहस' दण्ड देने योग्य है ।।२८॥ जा रोगादि रहित सरकारी सड़क पर मैला डाले यह दो सौ कागापण दण्ड दे और उन मैले को शीन उठवा देवे RAR आपद्गतोऽथवा वृद्धो गर्भिणी वालएव वा । परिमापणमर्हन्ति नयशोध्यमिति स्थितिः २८३ चिकित्स-सानां सपा मिथ्या प्रचरतां दमः । अमानुषेषु प्रथमा मानुषेषु तु मध्यम ।२८४/ (परन्तु) व्याक्ति वृद्व बाना गर्भिणी, ये बम माने और उम मैले को साफ कराने स्य हैं (दण्ड योग्य नां) यह मर्यादा है IR८॥ वेपढ़े उल्टी चिकित्मा करने वाले वैद्यों को दण्ड करना चाहिये । उस में गाय वैज़ आदि की वृया चिकित्सा करने वालों का “प्रथम साइस" और मनुष्य की उल्टी चिकित्मा करने वालों का "मध्यम साइन" दण्ड होना चाहिये ।।२८४|| M