पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/५६८

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दरामाऽध्याय बाला "सोपाक उत्पन्न होता है ।।३८॥ निषादस्त्री तु चण्डालात्पुत्रमन्त्पावसायिनम् । श्मशानगोचरं सूने बाहानामपि गर्हितम् ॥३९॥ सकरेजातयस्त्वेताः पितृमातृप्रदर्शिताः । प्रच्छमा वा प्रकाशा वा वेदितव्याः स्वकर्मभिः ।। निपाद की श्री चण्डाल में अधमो में भी निन्दित और चण्डालो से अतिनिकट श्मशान निवामी और उसी वृत्ति से जीने वाला पुत्र उत्पन्न करतीहै ।३९) वर्णसङ्कराम ये जाति वाप और मां के भेद में दिखाई । इन ढको वा खुली हुइयों को अपने २ कर्मों से जानना चाहिये ॥४॥ सजातिजानन्तरजाः पट्सुता द्विजधर्मिणः ।। शद्राणां तु सधर्माणः सर्वेऽपयसबाः स्मृता १४१॥ तराचीजप्रमागैस्तु ते गच्छन्ति युगे युगे । उस्कप चापकर्ष च मनुग्वेष्विह जन्मतः ॥१२॥ द्विजातियों के समान जाति वाले (तीन पुत्र अर्थात् ब्राह्मण ब्राह्मणी से दन कम से ३ और अनुलोम से तीन अर्थात् ब्राह्मण से क्षत्रिया वैश्या में ये दो और नत्रिया से वैश्या में एक मिलकर ३ इस प्रकार) ये छ पुत्र द्विजधर्मी हैं। और (सूतादि प्रतिलोमज सब शूद्रों के ममान कई हैं ॥४| तप प्रभाव से (विश्वामित्र- वर) और वीज प्रभाव से (ऋष्यशृन्नादिवत्) सव युगो में मनुष्य जन्म की उच्चता और (आगे कहे अनुसार) नीचता को भी प्राप्त होते हैं ॥४॥ शनकैस्तु क्रियालापादिमाः इत्रियबातयः । .