पृष्ठ:मनुस्मृति.pdf/५७०

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दशमाऽध्याय ५६७ (इन कामों को करके ये जीयन करते है) ॥४७निपादे 'क! मच्छी मारना और आयोग का लकड़ी तोड़ना और मेढ अन्त चुयोर मद्गुवों का जगली जानवरोको मारना (पैसा) है ।४८॥ चत्युग्रपुक्कसानां तु विलोको वधवन्धनम् । विग्वणानां चर्मकार्य वेणानां भाण्डव दनम् ।४६ चैन्यद्रुमश्मशानेप शैलेषवनेषु च । वसेयुगते विज्ञाता वर्तयन्त स्वकर्मभिः १५०। तचा अ पुक्कसा इनका (रोजगार) बिल के रहने वाजे जानवरों को मारना और बांधना और विग्वणो का चमड़ेका काम बनाना और बेणो का बाजा बजाना (काम) है 11४९|| प्राम के समीप बड़े २ वृक्षाके नीचे और श्मशान तथा पर्वत बाग वगीचो के पास अपनेर कानों को करनेसे प्रसिद्ध हुवे ये निवास करें १५०१ चण्डालवपचानां तु बहियांमात्रतिश्रयः । अपपात्राश्च कर्तव्या घनमेषां श्वगर्दमम् ॥५१॥ बासांसि धतचैलानि भिन्नभाण्डेषु भोजनम् । काणायसमलङ्कारः परिव्रज्या च नित्यशः ।। चण्डाली और श्वपचों का निवास प्राम के बाहर और निषिद्ध पात्र वाले रखने चाहिये और इन का धन कुत्ता और गधा है ।११। इनके कपड़े मुरदे के पात्र वा पुराने चिथड़े हो तथा फूटे घरतनो मे भोजन लोहे के आभूपण और घूमना स्वभाव (यह इन का 'लक्षण है) ॥२॥ न तैः समयमन्विच्छेत्पुरुषोधर्ममाचरन् ।