पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/१२४

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( ११५ ) हमने सलाह कर के एक स्वर से कहा-महाशयो ? सिर काटने की बात तो झूठ है, अलवत्त, आप जब आये हैं तो हम आप को खाली भी नहीं लौटा सकते, हम अपनी नाक कटा सकते हैं, लीजिये हाज़िर है ? वे हँसते हुए चले गये, शायद हम पर खुश हो गये थे। बस तुम्हारे पीछे हमने यही कौशल किया । दुनिया जब सदा से आन के नाम पर सिर कटाती आई है तब क्या हम नाक न कटा सकते थे ? आखिर हैं तो हम तुम्हारे ही साथी, क्या हम में इतनी हिम्मत भी न होती? चलो उठो, हमने तुम्हारे लिये बड़े उत्तम २ व्यंजन बना रखे हैं, आज हम भी बहुत भूखे हैं । कल रोटीन खाई गई, हमने सोचा अब कल ही माल उड़ावेंगे।