पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/१२६

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मुखविर * एक २२ वर्ष का सुन्दर सुगठित युवक सिर्फ एक स्वच्छ खद्दर की धोती पहने घास पर घुटनों के बल औंधा पड़ा था, और उसकी पीठ पर एक गौर वर्ण सुकुमार बालक, जिसकी आयु कोई ५ वर्ष की होगी सवार था। बालक युवक काल पकड़ कर उसे घोड़ा बनाये हुए था और लात मार कर अपने घोड़े को चलाने का प्रयत्न कर रहा था। पर घोड़ा वहीं अड़ा खड़ा था। शरदऋतु का सुन्दर प्रभात था, सुनहरी धूप चारों ओर फैली हुई थी। बालक और युवक दोनों मानी संसार भर के प्राणियों की अपेक्षा सर्वाधिक प्रसन्न थे। गाँव छोटा सा था और सामने हरे भरे खेत लहरा रहे थे।

  • क्रान्ति कारी दल की एक रोमांचकारी कथा।

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