पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/१२७

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( ११८ ) उन्मुक्त वायु इन प्रकृत विनोदियों से सानन्द विनोद कर रही थी। धीरे २ एक और दुबला पतला युवक वहीं आ खड़ा हुआ वह इन दोनों से कुछ दूर एक वृक्ष के नीचे खड़ा इनका खेल देखने लगा। घोड़े का अभिनय करने वाले युवक ने उसे देखा नहीं। वह जोर से हंस और बदन हिलार कर सवार को गिराने की चेष्टा कर रहा था। हठात् बालक का ध्यान निकट खड़े उस आगन्तुक की ओर चला गया । उसका उल्लास प्रवाह रुक गया। उसने कहा बाब. 1" " युवक ने आँख उठा कर देखा और चौंक उठा। फिर उसने बच्चे को धीरे से पीठ से उतार कर उसे घर चले जाने का आदेश किया और सँकेत से युवक को निकट बुला कर पूछा "सब ठीक है ?" “नहीं। "क्या हुआ ?” "प्रयल निष्फल हुआ। युवक की आँखें चमकने लगीं। उसने कुछ ठहरकर पूछा- "कारण ?" "सरदार स्वयं ही आपको कैफियत्त देना चाहते हैं। "क्या कोई और भी सम्वाद है ?" "हाँ, पुलिस ने नं० ४ और ३ सेन्टरों पर छापा मार कर वहाँ के सभी कार्य कर्ताओं को गिरफतार कर लिया है।" 1