पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/१३०

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( १२१ ) "क्यों क्या करोगे?" "धर में एक दो गहने हैं उन्हें बेच कर इसका रुपया अभी दे दिया जाय।" "इस समय तो बला टल ही गई, फिर देखा जायगा । इस वक्त चिन्ता न करो। "तुम क्या कुछ कम चिन्तित बैठे थे ? मैं मर जाऊँगा पर तुम्हें और लल्लू को कभी उदास नहीं देख सकता। युवक ने एक बार जी भर अपने इस दुबले पतले मित्र की ओर देखा । बड़ी कठिनाई से उसने अपना उद्बग और आँसू रोके फिर थोड़ी देर बाद वह अस्वाभाविक रूप से हँस पड़ा । उसकी हँसी से वह व्यक्ति भी हंस पड़ा और पूछा- "इतनी जोर से क्यों ह से ?" "तुम्हारे भोले पन पर क्या तुम मेरी बात पसन्द नहीं करते ?" "हरगिज नहीं, भाभी की चीज़ लेने का हो भला क्या अधिकार है। घर निकट आ गया और बालक ने चिल्ला कर कहा-"छोटे चाचा, देखो यह मेरा नया कुरता ।" "यह कहाँ पाया रे पाजो इसे तो मैं पहनू गा । युवक ने बच्चे को गोद में उठा लिया। इसके बाद तीनों प्रेमी मित्र