पृष्ठ:मरी-खाली की हाय.djvu/१३५

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गई। फिर उन दोनों की पोशाक भी बदल दी गई। चारों व्यक्ति चुपचाप धायल और बेहोश युवक को घेरे बैठे थे युवक ने हरसरन से कहा-"भाई हरसरन, अब मैं कुछ अद तुम पर प्रकट करूंगा। क्या तुम सुनने को तैयार हो ?' हर सरन इसकी प्रतीक्षा में था। उसने कहा, फिक्र न करो, मुझे क्या करना होगा, कहो।" भाई हर सरन ! तुम्हारे स्त्री बच्चे है इस कारण मैंने तुम्हें अलग ही रखना ठीक समझा था' पर अब तुमसे कुछ छिपाना मैं पाप समझता हूँ । परन्तु देखो मामी को कुछ भी मालूम न होना चाहिये । समझे ?" "ऐसा ही होगा 'तब सुनो, तुम अखबारों में बम, खूनखराबी, गोली पिस्तौल और डाके आदि की घटनाएं पढ़ा करते हो !!" "हमी लोग वह सब करते है ।" "मुझे भी शक था भैय्या, मगर. "सुनो, मैं सबका प्रधान हूँ। देशभर में सैकड़ों हमारे सेन्टर है। हमने राज्य सत्ता को जड़ से उखाड़ने का सारा सरंजाम कर लिया है, हमारे पास रुपया भी बहुत जमा है "परन्तु......" 137